रविवार, 19 सितंबर 2010

अंधा सब कुछ देख सकता है

आप भी जब नवगछिया के बिहपुर प्रखंड के लत्तीपुर चौक स्थित डबलू पान भंडार के संचालक डबलू को देखेंगे तो ऐसा ही कहेंगे। महज छह वर्ष की उम्र में बीमारी के कारण डबलू के आंखों की रोशनी चली गयी। इस वक्त यह सूरदास 22 वर्ष का है। जब आप उसकी कार्य पद्धाति देखेंगे तो निश्चित ही दांतों तले उंगली दबा लेंगे। वह बेधड़क नोटों और सिक्कों की पहचान कर सकता है। मोबाइल फोन बखूबी इस्तेमाल करता है। अपने ग्राहकों को वह मनचाहा पान लगाकर दे सकता है। मजाल क्या कि कोई उसके दुकान से किसी सामान की चोरी करने का प्रयास करे। समान को हाथ लगाते ही उसे आभास हो जाता है और चोरी कर रहे व्यक्ति की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती है। तीन माह से लत्तीपुर चौक पर पान की दुकान कर रहे डबलू इन दिनों आस-पास के लोगों के बीच चर्चित है। आंख की रोशनी चले जाने से डबलू के पिता चन्द्रदेव सिंह काफी चिंतित रहने लगे थे। जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया उसकी खूबियों के बारे में पता चलता गया। डबलू के पिता कहते हैं कि उनका परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर है इसलिए वे आश्वस्त थे कि डबलू का गुजर-बसर भीख मांग कर ही होने वाला है। जब गांव के कुछ लोगों द्वारा डबलू को भिक्षाटन के लिए प्रेरित किया गया तो वह इंकार कर गया। उसने संजय मंडल (पान दुकानदार) से पान लगाने की कला काफी कम समय में ही सीख ली और अपनी दुकान खोल ली। डबलू का कहना है कि काफी कम समय में ही उसके बहुत ज्यादा ग्राहक बन गए हैं। इतना कमाई हो जाता है कि वे अपने परिवार का भरण-पोषण आराम से कर सकते हैं। वह अंधा है पर सब कुछ देख सकता है।